भारतवर्ष में मां काली को शक्ति, रक्षण और विनाश की देवी माना जाता है। शनिवार का दिन मां काली की आराधना के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस दिन जो श्रद्धालु Maa Kali Shanivar Vrat Katha का पाठ करता है और नियमपूर्वक व्रत करता है, उसे जीवन के समस्त संकटों से मुक्ति मिलती है।
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Maa Kali Shanivar Vrat Katha (मां काली शनिवार व्रत कथा)
पुराने समय की बात है। एक निर्धन ब्राह्मण दंपत्ति हर शनिवार को मां काली का व्रत रखते और पूजा करते थे। एक बार उन्होंने विधिपूर्वक maa kali shanivar vrat katha सुनी और पूरी श्रद्धा से व्रत का पालन किया।
रात्रि को मां काली ने उन्हें स्वप्न में दर्शन दिए और कहा, “तुम्हारी भक्ति से मैं प्रसन्न हूं। आज से तुम्हारे जीवन की सभी बाधाएं समाप्त होंगी।” कुछ ही दिनों में उनका जीवन बदल गया — दरिद्रता समाप्त हुई, स्वास्थ्य सुधरा और समाज में मान-सम्मान बढ़ा। तभी से इस व्रत का महत्त्व और भी बढ़ गया।
माँ काली शनिवार व्रत कथाएँ
कथा 1: राघव की भक्ति और शनिवार व्रत

आज हम प्रस्तुत कर रहे हैं maa kali shanivar vrat katha जिसमें माँ काली की भक्ति से किस प्रकार संकट हर ओर शांत हो जाते हैं।
एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में रहने वाला राघव नामक ब्राह्मण पुत्र धन की कमी से अत्यंत पीड़ित था। लगातार कष्टों का सामना कर राघव दुखी था। पर गाँव के बूढ़े पुजारी ने उसके निराश मन को समझते हुए बताया कि शनिवार को माँ काली का व्रत रखने से शनिदेव की क्रोधी दृष्टि शांत होती है।
विश्वास के साथ राघव ने शुक्रवार के दिन से ही सत्संग व कीर्तन करके विशेष तैयारी की। प्रातःकाल उठकर शुद्ध मन से राघव ने देवी काली की मूर्ति के सामने दीप जलाया और फल-फूल अर्पित किए। उसने पूरा विश्वास रखा कि माता की शरण से ही सुख-शांति आएगी।
कई शनिवारों तक सतत पूजा-अर्चना के बाद एक रात्रि स्वप्न में राघव ने देखा कि माँ काली एक साक्षात् रूप में आईं और मुस्कान देते हुए कहने लगीं, “मेरे भक्त, तेरे कष्ट दूर होंगे।” जागते ही उसे अकल्पनीय उत्साह हुआ। जल्द ही उसके खेतों में अच्छी फसल हुई और व्यापार में लाभ होने लगा। धीरे-धीरे वित्तीय तंगी हटने लगी और घर में सुख-समृद्धि लौट आई।
समाप्ति में, श्रद्धा एवं भक्ति से राघव की आर्थिक परेशानियाँ दूर हुईं। इस maa kali shanivar vrat katha से हमें शिक्षा मिलती है कि समर्पित हृदय से शनिवार के व्रत और माँ काली की आराधना करने पर जीवन की सभी बाधाएँ कट जाती हैं। कथा का अंत जय माता दी के उच्चारण और माँ काली के प्रति असीम भक्ति से होता है।
कथा 2: कुशल की भक्ति और माँ काली की कृपा

माँ काली की महिमा अपरम्पार है। एक पुरानी maa kali shanivar vrat katha में वर्णन मिलता है कि कैसे भक्त-मन से आराधना करने वाले की रक्षा होती है।
एक समय की बात है, गाँव में कुशल नामक एक ब्राह्मण रहता था। उसके दो छोटे बच्चे थे। एक वर्ष कठिन गुज़रा और शनि की ऊग्र दृष्टि से उसके परिवार को विपत्ति घेरने लगी। खेतों में फसल बेमायोसी हुई, गाय कम दूध देने लगी और बच्चों की तबियत भी बिगड़ने लगी। कुशल निराश हो गया और माँ काली की शरण लेने की ठानी।
प्रत्येक शनिवार वह व्रत रखकर मंदिर पहुंचता, देवी के चरणों में मिष्ठान्न और पुष्प अर्पित करता। जैसे-जैसे समय बीता, कुशल की भक्ति बढ़ती गई। एक सपने की रात माँ काली ने स्वप्नदर्शन देकर उसे आश्वासन दिया कि उसके कष्ट दूर हो जाएंगे।
अगले महीने भारी वर्षा हुई, सूखा खतरा टला और खेतों में लहलहाती फ़सल उग आई। कुशल के बच्चे फिर स्वस्थ हो गए और परिवार में प्रसन्नता लौट आई। वह अपने गांव में इस व्रत कथा की महिमा बताता और माँ काली की आराधना के महत्व को समझाता।
इस कथा से हमें सीख मिलती है कि श्रद्धा और भक्ति से किया गया शनिवार व्रत शनि दोष को शांत कर देता है और जीवन में सुख-शांति लाता है। कथा का अंत जय मां काली के उच्चारण और माँ के प्रति प्रेम से होता है।
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🌸 कथा 3: विधवा बहू की भक्ति और माँ काली का वरदान

प्राचीन समय की बात है, एक गांव में रमा नाम की एक विधवा बहू रहती थी। पति के निधन के बाद उस पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। ससुराल में कोई सहारा नहीं था, और मायके में भी कोई विशेष सहायता नहीं मिली। पर रमा को एक विश्वास था — माँ काली की शक्ति।
एक दिन उसने एक साध्वी माता से सुना कि यदि कोई स्त्री सच्चे मन से maa kali shanivar vrat katha सुनकर शनिवार का व्रत करती है, तो माँ काली उसकी हर पीड़ा हर लेती हैं।
रमा ने उसी दिन से संकल्प लिया। हर शनिवार व्रत करती, माँ काली की मूर्ति को स्नान कराती, लाल फूल चढ़ाती और “ॐ क्रीं कालिकायै नमः” मंत्र का जाप करती।
धीरे-धीरे उसकी स्थिति में परिवर्तन आने लगा। गांव में लोग उसके सेवा-भाव और व्यवहार से प्रभावित हुए। किसी ने उसे कढ़ाई-बुनाई का काम दिया, किसी ने कपड़ों की सिलाई। वह आत्मनिर्भर बनने लगी।
एक शनिवार की रात माँ काली ने स्वप्न में आकर कहा, “बेटी, तेरी श्रद्धा से मैं प्रसन्न हूं। अब कोई तुझे दुख नहीं देगा।” इसके बाद उसके जीवन में शांति और स्थिरता आई। वह अकेली होते हुए भी कभी अकेली महसूस नहीं करती थी, क्योंकि माँ काली हर पल उसके साथ थीं।
इस maa kali shanivar vrat katha से यह सीख मिलती है कि भक्ति जब सच्चे दिल से की जाती है, तो ईश्वर स्वयं मार्ग बनाते हैं। माँ काली अपने भक्तों की हर बाधा हरने वाली हैं।
🌺 जय माँ काली! 🌺
🙏 शनिवार को Maa Kali की पूजा विधि

Maa Kali Shanivar Vrat Katha का फल तभी प्राप्त होता है जब पूजा विधिपूर्वक की जाए। नीचे पूजा विधि बताई गई है:
- सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
- पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
- मां काली की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- तेल का दीपक जलाएं और धूप-दीप दिखाएं।
- लाल पुष्प, गुड़हल का फूल, काली उड़द, और तिल अर्पित करें।
- मंत्र जाप करें: ॐ क्रीं कालिकायै नमः
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालिके क्लीं ह्रीं ऐं नमः॥ - फिर maa kali shanivar vrat katha सुनें या पढ़ें।
- अंत में मां की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
🪔 Maa Kali Vrat के लिए आवश्यक सामग्री
मां काली की मूर्ति/चित्र
लाल वस्त्र व फूल
काली उड़द, तिल, और काला चना
तेल का दीपक, कपूर
गुड़हल का फूल
नैवेद्य (हलवा या गुड़)
🎶 Maa Kali की आरती
जय काली, जय काली, महाकाली माता।
जो जन तेरा नाम जपे, भवसागर से तर जाता॥
📜 शनिवार व्रत के नियम
व्रती को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
तामसिक भोजन से परहेज करें।
दिनभर मां काली के नाम का स्मरण करें।
शनि दोष से पीड़ित व्यक्ति के लिए यह व्रत विशेष फलदायी है।
काले वस्त्र दान करें और कुत्तों को भोजन दें।
🌟 Maa Kali Shanivar Vrat के लाभ

शनि दोष और राहु-केतु दोष से मुक्ति
बुरी शक्तियों से सुरक्षा
जीवन में आत्मबल और निडरता
दरिद्रता, रोग और संकटों से छुटकारा
मनोकामनाओं की पूर्ति
Conclusion | निष्कर्ष
Maa Kali Shanivar Vrat Katha केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। जो भक्त इस व्रत को श्रद्धा से करते हैं, उनके जीवन में शक्ति, शांति और समृद्धि का वास होता है। आप भी इस शनिवार से व्रत आरंभ कर मां काली की कृपा प्राप्त करें।
🌺 जय मां काली! 🌺
FAQs – Maa Kali Shanivar Vrat Katha से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. maa kali shanivar vrat katha कब पढ़ी जाती है?
Ans: यह कथा हर शनिवार को माँ काली की पूजा के समय पढ़ी जाती है। विशेष रूप से सूर्योदय के बाद और पूजा के दौरान maa kali shanivar vrat katha सुनने या पढ़ने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
Q2. क्या maa kali shanivar vrat महिलाएं भी रख सकती हैं?
Ans: हां, स्त्रियां भी श्रद्धा और नियमों के अनुसार यह व्रत रख सकती हैं। माँ काली स्त्रियों की विशेष रूप से रक्षक मानी जाती हैं और यह व्रत उनके लिए भी उतना ही फलदायी है।
Q3. maa kali shanivar vrat में क्या वर्जित होता है?
Ans: इस दिन तामसिक भोजन, जैसे मांस, मदिरा और लहसुन-प्याज का सेवन वर्जित है। व्रती को ब्रह्मचर्य और सात्त्विक आहार का पालन करना चाहिए।
Q4. maa kali shanivar vrat katha का क्या लाभ है?
Ans: यह व्रत और कथा शनि दोष, नकारात्मक शक्तियों और मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाते हैं। साथ ही मां काली की कृपा से जीवन में आत्मबल, धन, और सुख-शांति प्राप्त होती है।
Q5. maa kali shanivar vrat कितने शनिवार तक करना चाहिए?
Ans: यह व्रत कम से कम 11 शनिवार या श्रद्धा अनुसार 21 या 51 शनिवार तक किया जा सकता है। कुछ लोग जीवनभर हर शनिवार यह व्रत रखते हैं।