राधे राधे!
आप सभी का स्वागत है इस प्रेरणादायक ब्लॉग में, जहाँ हम “Inspirational Bhagwat Geeta Shlok in Hindi” के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण के दिव्य और प्रेरणादायक उपदेशों को जानेंगे। महाभारत के युद्ध के दौरान जब अर्जुन अपने कर्तव्यों को लेकर भ्रमित थे, तब भगवान श्री कृष्ण ने गीता के श्लोकों के माध्यम से उन्हें आत्म-ज्ञान और धर्म का मार्ग दिखाया।
Inspirational Bhagwat Geeta Shlok in Hindi केवल श्लोक नहीं हैं, बल्कि जीवन को सही दिशा देने वाले अमूल्य मार्गदर्शक हैं। ये श्लोक हर उस इंसान के लिए प्रेरणा हैं, जो अपने जीवन की कठिनाइयों से जूझ रहा है। गीता का हर एक श्लोक हमें कर्म, धर्म, और आत्मा की सच्चाई के बारे में गहराई से सिखाता है।
“अपने कर्म पर ध्यान दो, क्योंकि कर्म ही तुम्हारे अधिकार में है। फल की चिंता मत करो। – भगवद गीता श्लोक”
“जो व्यक्ति खुद पर विजय पा लेता है, वही सच्चा विजेता है। – भगवद गीता श्लोक”
आइए, इन Inspirational Bhagwat Geeta Shlok in Hindi को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं और भगवान श्री कृष्ण के इन अनमोल उपदेशों से अपने जीवन को प्रेरणा और शांति प्रदान करें।
धन्यवाद! राधे राधे!
Table of Contents
Inspirational Bhagwat Geeta Shlok in Hindi

Chapter 2, Verse 7
श्लोक:
न हि देहिनोऽस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा |
तथा देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र न मुह्यति ||
2.7
अर्थ:
हे कष्ण! मैं आत्म-संकोच से घिरा हुआ हूं और न तो मुझे अपने कर्तव्य का सही निर्णय हो रहा है, न ही मुझे कोई शांति मिल रही है। कृपया मुझे उपदेश दें।
व्याख्या:
यह श्लोक अर्जुन के मनोबल को जागृत करने के लिए है, जब वह युद्ध में उलझ कर भ्रमित हो जाते हैं। भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को सही मार्ग दिखाया और उन्हें प्रेरित किया कि वह अपने कर्तव्यों का पालन करें।
Explanation in Hindi:
यह श्लोक हमें प्रेरित करता है कि जीवन के कठिन समय में, हमें किसी भी भ्रम या संकोच से बाहर निकलकर अपने उद्देश्य को समझना चाहिए।
Explanation in English:
This verse inspires us to overcome confusion and doubt, and to take action in alignment with our purpose, especially during tough situations.
Chapter 3, Verse 16
श्लोक:
एवं प्रवर्तितं चक्रं नानुवर्तयतीह य: |
अघायुरिन्द्रियारामो मोघं पार्थ स जीवति ||
3.16
अर्थ:
जो व्यक्ति इस संसार के धर्म के अनुसार कार्य नहीं करता और इन्द्रिय सुख के पीछे भागता है, वह व्यर्थ जीवन जीता है।
व्याख्या:
यह श्लोक प्रेरणा देता है कि व्यक्ति को अपने जीवन के उद्देश्य को समझते हुए सही कर्म करना चाहिए। जब हम सही मार्ग पर चलते हैं, तो हम अपने जीवन को सार्थक बनाते हैं।
Explanation in Hindi:
यह श्लोक हमें प्रेरित करता है कि हमें सिर्फ भौतिक सुख के पीछे नहीं भागना चाहिए, बल्कि अपने कर्तव्यों और धर्म का पालन करना चाहिए।
Explanation in English:
This verse motivates us to live with purpose and not be driven solely by material desires, but to follow the path of duty and righteousness.
Chapter 2, Verse 47
श्लोक:
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन |
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ||
2.47
अर्थ:
तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, फल में नहीं। इसलिए कर्मफल की चिंता मत करो और आलस्य से बचो। निष्काम भाव से कर्म करो।
व्याख्या:
यह श्लोक हमें प्रेरित करता है कि हम अपने कार्यों में पूर्ण रूप से संलग्न रहें, बिना इसके परिणामों की चिंता किए। जब हम निष्काम भाव से काम करते हैं, तो हमें आंतरिक संतुष्टि और शांति मिलती है।
Explanation in Hindi:
यह श्लोक जीवन को प्रेरित करता है कि कर्म करते समय हमें फल की चिंता नहीं करनी चाहिए, बल्कि केवल सही कर्मों में संलग्न रहना चाहिए।
Explanation in English:
This verse inspires us to focus on performing our duties without worrying about the results, and to work selflessly for the greater good.
Chapter 4, Verse 7
श्लोक:
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत |
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ||
4.7
अर्थ:
जब-जब धर्म में हानि होती है और अधर्म का उत्कर्ष होता है, तब-तब मैं स्वयं को प्रकट करता हूं।
व्याख्या:
यह श्लोक प्रेरणा देता है कि भगवान हमें हमेशा संकट के समय में मार्गदर्शन देने के लिए अवतार लेते हैं। जब भी धर्म का पतन होता है, भगवान अपनी लीला से उसे फिर से स्थापित करते हैं।
Explanation in Hindi:
यह श्लोक हमें प्रेरित करता है कि जीवन में हम कभी हार नहीं मानें, क्योंकि जब भी सत्य और धर्म संकट में होते हैं, ईश्वर हमारी मदद के लिए आते हैं।
Explanation in English:
This verse inspires us to never give up, as God always intervenes when righteousness is threatened, restoring balance and guiding us through challenges.
Chapter 18, Verse 66
श्लोक:
सर्वधर्मान्परित्यज्य मां एकं शरणं व्रज |
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच: ||
18.66
अर्थ:
सभी प्रकार के धर्मों को त्याग कर केवल मेरी शरण में आओ। मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्त करूंगा, चिंता मत करो।
व्याख्या:
यह श्लोक हमें यह प्रेरणा देता है कि जब हम जीवन के हर पहलु में संघर्ष महसूस करें, तो हमें भगवान की शरण में जाना चाहिए। भगवान हमारे पापों से मुक्त करते हैं और हमें शांति प्रदान करते हैं।
Explanation in Hindi:
यह श्लोक हमें प्रेरित करता है कि भगवान की शरण में जाकर हम अपने सभी पापों से मुक्त हो सकते हैं, और हमारी आत्मा को शांति मिलती है।
Explanation in English:
This verse inspires us to surrender ourselves completely to God, trusting that He will free us from all sins and grant us peace and liberation.
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Motivational Bhagwat Geeta Shlok in Hindi For Student 🔥🔥 : भगवत गीता के 15 अमूल्य श्लोक व्याख्या सहित

Chapter 2, Verse 7
श्लोक:
न हि देहिनोऽस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा |
तथा देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र न मुह्यति ||
2.7
अर्थ:
हे कष्ण! मैं आत्म-संकोच से घिरा हुआ हूं और न तो मुझे अपने कर्तव्य का सही निर्णय हो रहा है, न ही मुझे कोई शांति मिल रही है। कृपया मुझे उपदेश दें।
व्याख्या:
यह श्लोक अर्जुन के मनोबल को जागृत करने के लिए है, जब वह युद्ध में उलझ कर भ्रमित हो जाते हैं। भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को सही मार्ग दिखाया और उन्हें प्रेरित किया कि वह अपने कर्तव्यों का पालन करें।
Explanation in Hindi:
यह श्लोक हमें प्रेरित करता है कि जीवन के कठिन समय में, हमें किसी भी भ्रम या संकोच से बाहर निकलकर अपने उद्देश्य को समझना चाहिए।
Explanation in English:
This verse inspires us to overcome confusion and doubt, and to take action in alignment with our purpose, especially during tough situations.
Chapter 3, Verse 16
श्लोक:
एवं प्रवर्तितं चक्रं नानुवर्तयतीह य: |
अघायुरिन्द्रियारामो मोघं पार्थ स जीवति ||
3.16
अर्थ:
जो व्यक्ति इस संसार के धर्म के अनुसार कार्य नहीं करता और इन्द्रिय सुख के पीछे भागता है, वह व्यर्थ जीवन जीता है।
व्याख्या:
यह श्लोक प्रेरणा देता है कि व्यक्ति को अपने जीवन के उद्देश्य को समझते हुए सही कर्म करना चाहिए। जब हम सही मार्ग पर चलते हैं, तो हम अपने जीवन को सार्थक बनाते हैं।
Explanation in Hindi:
यह श्लोक हमें प्रेरित करता है कि हमें सिर्फ भौतिक सुख के पीछे नहीं भागना चाहिए, बल्कि अपने कर्तव्यों और धर्म का पालन करना चाहिए।
Explanation in English:
This verse motivates us to live with purpose and not be driven solely by material desires, but to follow the path of duty and righteousness.
Chapter 2, Verse 47
श्लोक:
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन |
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ||
2.47
अर्थ:
तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, फल में नहीं। इसलिए कर्मफल की चिंता मत करो और आलस्य से बचो। निष्काम भाव से कर्म करो।
व्याख्या:
यह श्लोक हमें प्रेरित करता है कि हम अपने कार्यों में पूर्ण रूप से संलग्न रहें, बिना इसके परिणामों की चिंता किए। जब हम निष्काम भाव से काम करते हैं, तो हमें आंतरिक संतुष्टि और शांति मिलती है।
Explanation in Hindi:
यह श्लोक जीवन को प्रेरित करता है कि कर्म करते समय हमें फल की चिंता नहीं करनी चाहिए, बल्कि केवल सही कर्मों में संलग्न रहना चाहिए।
Explanation in English:
This verse inspires us to focus on performing our duties without worrying about the results, and to work selflessly for the greater good.
Chapter 4, Verse 7
श्लोक:
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत |
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ||
4.7
अर्थ:
जब-जब धर्म में हानि होती है और अधर्म का उत्कर्ष होता है, तब-तब मैं स्वयं को प्रकट करता हूं।
व्याख्या:
यह श्लोक प्रेरणा देता है कि भगवान हमें हमेशा संकट के समय में मार्गदर्शन देने के लिए अवतार लेते हैं। जब भी धर्म का पतन होता है, भगवान अपनी लीला से उसे फिर से स्थापित करते हैं।
Explanation in Hindi:
यह श्लोक हमें प्रेरित करता है कि जीवन में हम कभी हार नहीं मानें, क्योंकि जब भी सत्य और धर्म संकट में होते हैं, ईश्वर हमारी मदद के लिए आते हैं।
Explanation in English:
This verse inspires us to never give up, as God always intervenes when righteousness is threatened, restoring balance and guiding us through challenges.
Chapter 18, Verse 66
श्लोक:
सर्वधर्मान्परित्यज्य मां एकं शरणं व्रज |
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच: ||
18.66
अर्थ:
सभी प्रकार के धर्मों को त्याग कर केवल मेरी शरण में आओ। मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्त करूंगा, चिंता मत करो।
व्याख्या:
यह श्लोक हमें यह प्रेरणा देता है कि जब हम जीवन के हर पहलु में संघर्ष महसूस करें, तो हमें भगवान की शरण में जाना चाहिए। भगवान हमारे पापों से मुक्त करते हैं और हमें शांति प्रदान करते हैं।
Explanation in Hindi:
यह श्लोक हमें प्रेरित करता है कि भगवान की शरण में जाकर हम अपने सभी पापों से मुक्त हो सकते हैं, और हमारी आत्मा को शांति मिलती है।
Explanation in English:
This verse inspires us to surrender ourselves completely to God, trusting that He will free us from all sins and grant us peace and liberation.
Bhagwat Geeta Shlok With Hindi Meaning 🔥🔥 : भगवत गीता के 18 ज्ञानवर्धक श्लोक अर्थ के साथ

Chapter 2, Verse 47
श्लोक:
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन |
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ||
2.47
अर्थ:
तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, फल में नहीं। इसलिए फल की चिंता छोड़कर कर्म करते रहो।
Explanation in English:
You have the right to perform your duty but not to the results. Focus on your actions and remain unattached to the outcome.
Chapter 4, Verse 7
श्लोक:
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत |
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ||
4.7
अर्थ:
जब-जब धर्म की हानि और अधर्म का उत्थान होता है, तब-तब मैं अवतार लेता हूं।
Explanation in English:
Whenever righteousness declines and unrighteousness prevails, I manifest myself.
Chapter 4, Verse 8
श्लोक:
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् |
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ||
4.8
अर्थ:
साधुओं की रक्षा, दुष्टों के विनाश और धर्म की स्थापना के लिए मैं हर युग में प्रकट होता हूं।
Explanation in English:
To protect the virtuous, destroy the wicked, and establish dharma, I incarnate in every age.
Chapter 6, Verse 5
श्लोक:
उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत् |
आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मन: ||
6.5
अर्थ:
व्यक्ति को स्वयं के द्वारा अपना उत्थान करना चाहिए और स्वयं को गिरने नहीं देना चाहिए। स्वयं ही अपना मित्र और स्वयं ही अपना शत्रु है।
Explanation in English:
One must elevate oneself through one’s own efforts and not degrade oneself. The self is both a friend and an enemy to oneself.

Chapter 9, Verse 22
श्लोक:
अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते |
तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम् ||
9.22
अर्थ:
जो लोग मुझ पर पूर्ण विश्वास रखते हैं और निरंतर मेरा स्मरण करते हैं, मैं उनके योगक्षेम का वहन करता हूं।
Explanation in English:
For those who worship me with unwavering faith and constant devotion, I provide what they lack and preserve what they have.
Chapter 10, Verse 20
श्लोक:
अहमात्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थित: |
अहमादिश्च मध्यं च भूतानामन्त एव च ||
10.20
अर्थ:
हे अर्जुन! मैं आत्मा हूं, जो सभी प्राणियों के हृदय में स्थित है। मैं सभी का आदि, मध्य और अंत हूं।
Explanation in English:
I am the soul residing in the hearts of all beings. I am the beginning, middle, and end of all creation.
Chapter 3, Verse 21
श्लोक:
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जन: |
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते ||
3.21
अर्थ:
श्रेष्ठ पुरुष जैसा आचरण करते हैं, अन्य लोग भी उसका अनुसरण करते हैं। जो मानक वे स्थापित करते हैं, समाज उसे अपनाता है।
Explanation in English:
Whatever actions great people perform, common people follow. They set the standard by which the world operates.
Chapter 18, Verse 66
श्लोक:
सर्वधर्मान्परित्यज्य मां एकं शरणं व्रज |
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच: ||
18.66
अर्थ:
सभी धर्मों को त्याग कर केवल मेरी शरण में आओ। मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्त करूंगा, चिंता मत करो।
Explanation in English:
Abandon all varieties of religion and surrender unto Me. I will deliver you from all sins; do not fear.
Chapter 2, Verse 14
श्लोक:
मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदा: |
आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत ||
2.14
अर्थ:
हे अर्जुन! सर्दी-गर्मी, सुख-दुख आदि क्षणिक हैं, आते-जाते रहते हैं। इन्हें सहन करो।
Explanation in English:
O Arjuna, the sensations of heat and cold, pleasure and pain, are fleeting. Learn to endure them patiently.
Chapter 5, Verse 18
श्लोक:
विद्याविनयसम्पन्ने ब्राह्मणे गवि हस्तिनि |
शुनि चैव श्वपाके च पण्डिता: समदर्शिन: ||
5.18
अर्थ:
जो व्यक्ति विद्या और विनम्रता से युक्त है, वह ब्राह्मण, गाय, हाथी, कुत्ते और चांडाल में समान दृष्टि रखता है।
Explanation in English:
The wise see all beings equally, be it a learned priest, a cow, an elephant, a dog, or an outcast.
निष्कर्ष
“Inspirational Bhagwat Geeta Shlok in Hindi” हमें जीवन के कठिनाइयों से जूझने, सही निर्णय लेने, और अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए शक्ति और प्रेरणा प्रदान करते हैं। ये श्लोक केवल आध्यात्मिक मार्गदर्शन ही नहीं, बल्कि एक सफल और संतुलित जीवन जीने का मार्ग भी दिखाते हैं। भगवद गीता के प्रेरणादायक श्लोक जीवन को सार्थक और सकारात्मक दिशा में ले जाने के लिए अमूल्य खजाना हैं।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
प्रश्न: Inspirational Bhagwat Geeta Shlok in Hindi क्यों महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर: भगवद गीता के प्रेरणादायक श्लोक हमें आत्मविश्वास, धैर्य और सही निर्णय लेने की प्रेरणा देते हैं। ये श्लोक जीवन के हर पहलू को समझने और सही दिशा में बढ़ने में मदद करते हैं।
प्रश्न: भगवद गीता के प्रेरणादायक श्लोक किसके लिए उपयोगी हैं?
उत्तर: ये श्लोक हर व्यक्ति के लिए उपयोगी हैं, चाहे वह किसी भी उम्र, व्यवसाय या जीवन के किसी भी क्षेत्र से जुड़ा हो। ये श्लोक मानसिक शांति, संघर्षों से उबरने और सफलता पाने के लिए मार्गदर्शन करते हैं।
प्रश्न: भगवद गीता के प्रेरणादायक श्लोक को कैसे समझा जा सकता है?
उत्तर: भगवद गीता के श्लोकों को समझने के लिए नियमित अध्ययन, सही व्याख्या, और उनके अर्थ को जीवन में लागू करना आवश्यक है। गीता के विशेषज्ञों से मार्गदर्शन लेना भी मददगार हो सकता है।
प्रश्न: Inspirational Bhagwat Geeta Shlok in Hindi का एक उदाहरण क्या है?
उत्तर:
“योग: कर्मसु कौशलम्”
इसका अर्थ है कि कर्म में कुशलता ही योग है। यह श्लोक हमें कर्म में पूरी निष्ठा और ध्यान लगाने की प्रेरणा देता है।
प्रश्न: भगवद गीता के श्लोक कैसे हमें प्रेरित करते हैं?
उत्तर: गीता के श्लोक हमें जीवन में धैर्य, त्याग, और कर्तव्य का महत्व सिखाते हैं। ये हमें संघर्षों के बीच शांत रहने, अपने कर्तव्यों पर ध्यान केंद्रित करने और आत्मज्ञान की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देते हैं।